भारत नेपाल सीमांचल की कोसी नगरी वीरपुर में अवस्थित महाविद्यालय की स्थापना सन् 1970 में भूतपूर्व सांसद स्व. गुणानन्द ठाकुर के पुनीत प्रयत्न का परिणाम है लेकिन श्री ठाकुर के इस अभियान को अनुशासित करने वालों में भारत सरकार के तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र एवं स्व. दिनेश्वर प्रसाद का शीर्षस्थ योगदान है।

यों तो महाविद्यालय की स्थापना वीरपुर कॉलेज, वीरपुर के नाम से सन् 1970 ई. में हुई, परन्तु इसका नामकरण सन् 1975 ई. में भारतीय राजनीति के आलोक स्तम्भ, बिहार गौरव कौशिकेये पुरोधा मिथिला के महान् नायक स्व. ललित नारायण मिश्र का असामयिक निधन हुआ। तब से आज तक इसी ललित नारायण मिश्र स्मारक महाविद्यालय, वीरपुर (सुपौल) के नाम से यह लगातार सेवारत है।

इस वीरान इलाके में महाविद्यालय की स्थापना तो अपने आप में एक अनोखी घटना तो थी ही, परन्तु इसकी परम परिणति तय हुई जब इसे सन् 1972 में विज्ञान एवं 1975 में राज्य सरकार से स्नातक स्तर तक विधिवत संबंधन प्राप्त हो गया। बिहार के उत्तर पूर्वी सीमांचल का यह समाज प्रशासन की उपेक्षाओं का तो शिकार रहा ही है, बाढ़ आदि के रूप ने प्रकृति की कोप-दृष्टि को भी झेलता रहा है। उच्चतर शिक्षा के आकांक्षी मंधावी छात्र-छात्राएँ गरीबी और अर्थाभाव के कारण दूर नहीं जा पाते थे। विशेषकर छात्राओं को भयानक मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इस महाविद्यालय को स्थापना से अँधेरे में जैसे दीप जल उठे, जिनकी जगमगाती रोशनी में वैसे बेपनाह बच्चों को आश्रय मिला और और उनकी बंद प्रतिभाओं को खुलने और खिलने का अनुकूल परिवेश मिला।

अनेकानेक अतिरिक्त ज्ञान-विज्ञान सर्वाधिक व्यक्तियों के प्रत्यक्ष एवं परोक्ष सहयोग से ये महाविद्यालय अपने अतीत के स्वर्णिम स्वप्न को साकार करने में सफल हो सका है। इसमें से स्व. मृत्युंजय नारायण मिश्र को भुलाया नहीं जा सकता है, जिनके कुशल निर्देशन में ही महाविद्यालय को जीर्णावस्था से कायाकल्पित कर जीवंत करने में सरलता मिल सकी।

बिहार के नेक प्रिय जननायक, लब्ध प्रतिष्ठित शिक्षाविद्, निर्भीक कला, राजनीति को प्रभाविष्णु प्रतिभा एवं बिहार शिक्षा विभाग के उल्लेखनीय कीर्तिमान के संस्थापक तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र की ऐतिहासिक घोषणा से यह महाविद्यालय दिसम्बर 1980 में मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन अंगीभूत होकर कृत्य-कृत्य हो गया और तब से यह महाविद्यालय अंगीभूत इकाई के रूप में प्रगतिशील हुई और सन् 1992 ई. से वर्तमान भूपेन्द्र नारायण मंडल विवविद्यालय, मधेपुरा के क्षेत्रान्तर्गत अंगीभूत इकाई के रूप में यह महाविद्यालय, वीरपुर (सुपौल) अनुमण्डल मुख्यालय में उच्च शिक्षा का केन्द्र बना हुआ है।

अन्त में फिर भी इस दौर में महाविद्यालय के समक्ष विकट प्रश्न और चुनौतियाँ है, जिनके समाधान के लिए बार-बार सरकार वि.वि. अनुदान आयोग और विश्वविद्यालय प्रशासन के आन्तरिक सहयोग एवं मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी।