महाविद्यालय परीक्षा
- ज्ञातव्य हो कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के आदेश के आलोक में वर्त्तमान सत्र से इण्टर परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु महाविद्यालय स्तर पर जाँच परीक्षा का आयोजन होगा, जिसमें छात्रों को अनिवार्य रूप से सम्मिलित होना होगा।
- महाविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के विधिवत् संचालन के लिए परीक्षा नियंत्रक नियुक्त हैं। परीक्षा सम्बन्धी सारी सूचनाएँ उन्हीं से प्राप्त की जा सकती है। परीक्षार्थियों को महाविद्यालय की ओर से उत्तर पुस्तिकाएँ, ग्राफ पेपर, ब्लाटिंग पेपर आदि आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहेगी। उन्हें केवल कलम एवं इन्सटूमेन्ट बॉक्स साथ लाना चाहिए।
- परीक्षा भवन में पुस्तक, पत्र या कोई भी स्मारक वस्तु लाना दण्डनीय है। प्रश्न पत्र मिल जाने पर परस्पर वार्तालाप या संकेत निषिद्ध है। किसी वस्तु की आवश्यकता होने पर खड़े होकर माँग करें।
- परीक्षा में अवैध साधन का उपयोग करने वाले छात्र परीक्षा भवन से निष्कासित कर दिए जायेंगे। उन्हें न तो प्रोन्नति दी जायेगी और न विश्वविद्यालीय परीक्षा के लिए अभिप्रेषित ही किया जायगा।
- परीक्षा प्रारम्भ से एक घण्टे के भीतर कोई भी छात्र अपना निर्धारित स्थान नहीं छोड़ सकता। उसके बाद ही शौचादि के लिए निरीक्षक की अनुमति लेकर नियत अवधि के लिए ही परीक्षार्थी बाहर जा सकेगा।
विश्वविद्यालयी परीक्षा
इण्टरमीडिएट तथा स्नातक परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिए सामान्य योग्यताएँ एवं शर्तें निम्न हैं:-
- प्रत्येक विषय में सत्र भर में दिए गए व्याख्यानों में कम से कम 75% उपस्थिति आवश्यक है।
- अभ्यास एवं प्रायोगिक वर्गों में भी अलग-अलग 75% उपस्थिति आवश्यक है।
- अपने अध्ययन काल में सन्तोषप्रद आचरण आवश्यक है।
उपर्युक्त शर्तों की पूर्ति किए बिना किसी भी छात्र का किसी भी परीक्षा के लिए नियमित पाठ्यक्रम पूर्ण नहीं माना जायगा।
विश्वविद्यालयी परीक्षाओं के लिए अभिप्रेषित छात्रों के परीक्षा-प्रपत्र पर प्रधानाचार्य की निम्नांकित आशय का प्रमाण-पत्र देना होता है।
"इन्होंने एक या एकाधिक महाविद्यालयों में नियमित रूप से अध्ययन कर परीक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम को पूरा कर लिया है और जहाँ प्रायोगिक परीक्षा का विधान है, वहाँ अपने सम्पूर्ण अध्ययन काल में निर्धारित प्रयोगों को भी सुयोग्य निर्देशन में समुचित रूप से सम्पूर्ण किया है। इनका आचरण अच्छा रहा है। इन्होंने नियमित रूप से अध्यवसाय पूर्वक अध्ययन किया है तथा ये परिनियमों में निर्दिष्ट महाविद्यालय की आवधिक अन्य परीक्षाओं में सम्मिलित हुए हैं और सन्तोषजनक रूप से उनमें उत्तीर्ण हुए हैं।"
अतएव विश्वविद्यालय परीक्षाओं के लिए अभिप्रेषित होने वाले छात्रों को महाविद्यालय की आवधिक परीक्षाओं में अवश्य बैठना होगा, अन्यथा प्रधानाचार्य उपर्युक्त आशय का प्रमाण-पत्र देने में नैतिक दृष्टि से असमर्थ होंगे। वैसे भी महाविद्यालीय आवधिक परीक्षाओं की बड़ी उपयोगिता है। ये निश्चय ही विश्वविद्यालीय परीक्षाओं में बैठने के लिए पूर्वाभ्यास का काम करती है।