- विद्यार्थी को महाविद्यालय परिसर में परिचय पत्र के साथ आना अनिवार्य है।
- महाविद्यालय के शिक्षकों को इस बात का पूरा अधिकार है कि वे कहीं भी किसी क्षण छात्रों के अभद्र एवं उच्छृंखल व्यवहार पर रोक लगा दें। अतः उनके आदेश का तत्क्षण पालन होना चाहिए।
- छात्रों के लिए अपेक्षित सूचनाएँ विनोद भवनों में अवस्थित सूचना पट्टों पर दे दी जाती है। जिन्हें छात्रों को नित्य महाविद्यालय बन्द होने के पूर्व देख लेना चाहिए। किसी आदेश के पालन में किल होने पर सूचना से अनभिज्ञता का बहाना नहीं सुना जायेगा।
- महाविद्यालय की वस्तु को हानि पहुँचाना, दीवाल पर लिखना, बिजली-बत्तियों के बटन का स्पर्श करना आदि अभद्रता के चिन्ह हैं और दण्डनीय है।
- महाविद्यालय के समय सड़क तथा बरामदे में भीड़ लगाना, मटरगश्ती करना अथवा किसी प्रकार का शोरगुल मचाना सर्वथा वर्जित है। वर्ग न रहने पर उन्हें या तो सीधे अपने निवास जाना चाहिए अथवा विनोद भवन में रहना चाहिए।
- विद्यार्थियों का कार्यालय के अन्दर प्रवेश वर्जित है। अपने कार्यों के लिए वे यथासम्भव खिड़कियों पर उपस्थित सहायकों की ही मदद ले सकते हैं।
- छात्र पूर्वानुमति के बिना प्रधानाचार्य या शिक्षक प्रकोष्ठ में प्रवेश न करें।
- छात्र महाविद्यालय के प्रांगण या कक्षा में किसी बाहरी व्यक्ति को न लायें।
- प्रधानाचार्य ने अपनी कुछ शक्तियाँ प्रभारी अध्यापकों को प्रत्यायोजित (डेलीगेट) कर दी है जिसका विवरण परिशिष्ट में वर्णित है। अतः छात्रों को सम्बन्धित प्रभारी अध्यापकों से ही सम्पर्क स्थापित करना चाहिए न कि प्रधानाचार्य से। प्रभारी प्राध्यपकों से किसी मामले में सन्तुष्टि नहीं मिलने पर उनके माध्यम से ही छात्र प्रधानाचार्य के समक्ष आवेदन कर सकते हैं।
- हिन्दी, अंग्रेजी अथवा अन्य भाषाओं के वर्गों में छात्रों को पाठ्य-पुस्तकों के साथ उपस्थित होना चाहिए। शिक्षकों को इस नियम का उल्लंघन करने वाले छात्रों को वर्ग से निष्कासित करने तथा उपस्थिति न देने का पूर्ण अधिकार है। बार-बार नियम भंग करने वाले छात्रों के नाम अनुशासनिक कार्रवाई हेतु प्रधानाचार्य के पास भेज दिए जाने चाहिए।
- छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे महाविद्यालय की गरिमा को बनाये रखने के लिए उत्तम आचरण एवं शील का परिचय देंगे। वे महाविद्यालय की दीवारों, श्यामपट्ट अथवा सार्वजनिक महत्त्व के अन्य स्थानों पर किसी प्रकार की नारेबाजी अथवा आपत्तिजनक लगने वाली बात आदि नहीं लिखेंगे।
- सभी छात्र महाविद्यालय प्रांगण में शान्ति व्यवस्था एवं सौमनस्य बनाये रखने में पूर्ण सहयोग देंगे।
- यदा-कदा महाविद्यालय में कुछ बाहरी अवांछनीय तत्त्व आकर गलत अफवाह तथा भ्रान्ति फैलाकर छात्रों को बहकाते हैं। छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे इन गलत अफवाहों एवं भ्रान्तियों से दूर रहकर इन अवांछनीय तत्त्वों के बहकावे में न आवें।
- महाविद्यालय में अध्ययन-अध्यापन का स्तर सर्वोच्च हो यह प्रधानाचार्य भी चाहते हैं और छात्रों से भी यही अपेक्षा की जाती है। ऐसी स्थिति में प्रधानाचार्य छात्रों की सभी ध्यातव्य शिकायतों एवं कठिनाईयों को पूरी सहानुभूति के साथ सुनेंगे और उन्हें अपने सहकर्मी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्रों के पारस्परिक सहयोग द्वारा दूर करने का हर सम्भव प्रयत्न करेंगे।
- छात्रों को इस बात का पूरा-पूरा ज्ञान होना चाहिए कि उनसे जिन-जिन नियमों के, जैसे उपस्थिति का प्रतिशत, महाविद्यालय की उर्तीणांक परीक्षा, विश्वविद्यालय की परीक्षा में प्रवेश पाने के लिए ली जानेवाली जाँच परीक्षा, विश्वविद्यालय परीक्षा की तिथियों केन्द्रों, उनके शुल्क लेने की तिथियों, पाठ्यक्रम आदि से सम्बद्ध निर्णय विश्वविद्यालय अधिकारियों द्वारा पारित होते हैं और महाविद्यालय के प्रधानाचार्य मात्र उन्हें कार्यान्वित करते हैं। अतएव उनके किसी प्रकार के परिवर्तन या संशोधन का अधिकार कुलपति को ही प्राप्त है। अत: छात्रों को यह भ्रान्ति नहीं रहनी चाहिए कि उनके मामले में प्रधानाचार्य का उनपर किसी प्रकार का नियंत्रण है।
प्रधानाचार्य आशा करते हैं कि छात्रगण इन ध्यातव्य बातों पर गौर करेंगे, उचित एवं नियमानुसार अपेक्षित कदम उठाया करेंगे। प्रधानाचार्य की परिसीमाओं एवं विवशताओं को समझेंगे और आपसी भ्रान्तियों एवं पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर पारस्परिक सहयोग द्वारा अपनी समस्याओं का समाधान करेंगे।